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दुविधा में क्या जीना, दुविधा चैन गवाँती है।
आतुरता में क्या मरना, आतुरता मुश्किलें पैदा करती है।
नसियत से क्या मिलेगा, झूठा अहंकार पैदा करता है।
आरजू के पीछे क्या भागना, योगी से भोगी बनाती है।
- डॉ. हीरा
दुविधा में क्या जीना, दुविधा चैन गवाँती है।
आतुरता में क्या मरना, आतुरता मुश्किलें पैदा करती है।
नसियत से क्या मिलेगा, झूठा अहंकार पैदा करता है।
आरजू के पीछे क्या भागना, योगी से भोगी बनाती है।
- डॉ. हीरा
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