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इस इमारत का कोर्इ वजूद नहीं, जिसमें खुदा न मिले।
गम इस बात का है, कि प्रयास सिर्फ सुख साधन के लिए है।
गवां देते हैं लोग इस मौके को, खुद ही भूल जाते हैं इस रिश्ते को।
खुदा, खुद का विचार छोड़ने से मिलते हैं, उसके नाम में ही खुद को मिलते हैं।
- डॉ. ईरा शाह
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