|
जिस्मों की भूख में अक्सर चूकते हैं,
अपनी ख्वाहिशों के दर्द में रोते हैं,
जन्मो जन्म की तड़प में जीते हैं,
अक्सर जिस्मों की आड़ में ही कर्म करते हैं।
- डॉ. हीरा
जिस्मों की भूख में अक्सर चूकते हैं,
अपनी ख्वाहिशों के दर्द में रोते हैं,
जन्मो जन्म की तड़प में जीते हैं,
अक्सर जिस्मों की आड़ में ही कर्म करते हैं।
- डॉ. हीरा
|
|