|
कातिल अंदाज़ों पर मरते हैं हम,
कि निगाहों के गुनाहों पर मरते हैं हम,
दिल के सुर में खोते हैं हम,
ऐ खुदा, तेरी ये अदाओं में ही तो जीते हैं हम।
- डॉ. हीरा
कातिल अंदाज़ों पर मरते हैं हम,
कि निगाहों के गुनाहों पर मरते हैं हम,
दिल के सुर में खोते हैं हम,
ऐ खुदा, तेरी ये अदाओं में ही तो जीते हैं हम।
- डॉ. हीरा
|
|