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क्या करूँ, क्या ना करूँ, उसमें ही फँसते हैं,
क्या बोलूं, क्या खामोश रहूँ, सबसे बड़ी लड़ाई है,
हर इंसान अपने अस्तित्व में ही जीता है,
हर इंसान अपने फायदे की ही सोचता है।
- डॉ. हीरा
क्या करूँ, क्या ना करूँ, उसमें ही फँसते हैं,
क्या बोलूं, क्या खामोश रहूँ, सबसे बड़ी लड़ाई है,
हर इंसान अपने अस्तित्व में ही जीता है,
हर इंसान अपने फायदे की ही सोचता है।
- डॉ. हीरा
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