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मौजूदगी से क्या होता है, अगर उसकी कदर नहीं।
प्रेम से क्या होता है, जब तक उससे सुधऱते नहीं।
नसीहत से क्या होता है, जब तक उसे स्वीकारते नहीं।
परब्रह्म की बातों से क्या होता है, जब तक उसे पहचानते नहीं।
- डॉ. हीरा
मौजूदगी से क्या होता है, अगर उसकी कदर नहीं।
प्रेम से क्या होता है, जब तक उससे सुधऱते नहीं।
नसीहत से क्या होता है, जब तक उसे स्वीकारते नहीं।
परब्रह्म की बातों से क्या होता है, जब तक उसे पहचानते नहीं।
- डॉ. हीरा
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