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पुराणों में वह क्या मज़ा जो अंतर ध्यान में हैं;
विश्वास की यह कैसी सजा जो माया के जाल में है;
ईश्वर की बोली ने है कितना दिया, जो है सब को देता अपने आप से भुला;
समुद्र में वो विशालता कहाँ जो प्रभु के आनंद में है।



- डॉ. ईरा शाह
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पुराणों में वह क्या मज़ा जो अंतर ध्यान में हैं;
विश्वास की यह कैसी सजा जो माया के जाल में है;
ईश्वर की बोली ने है कितना दिया, जो है सब को देता अपने आप से भुला;
समुद्र में वो विशालता कहाँ जो प्रभु के आनंद में है।
पुराणों में वह क्या मज़ा जो अंतर ध्यान में हैं; विश्वास की यह कैसी सजा जो माया के जाल में है; ईश्वर की बोली ने है कितना दिया, जो है सब को देता अपने आप से भुला; समुद्र में वो विशालता कहाँ जो प्रभु के आनंद में है। https://myinnerkarma.org/quotes/detail.aspx?title=puranom-mem-vaha-kya-maa-jo-antara-dhyana-mem-haim

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