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शमा और परवाना के बीच में चिपक रहा है इन्सान।
शाम ओर सुबह में लटकता है यह इन्सान।
जीवन और मरण के बीच, जीता जागता है इन्सान।
नसीहत सबको देता है, खुद डूबता है इन्सान।

Between light and the moth that is attracted to it, the man sticks.

Between evening and morning, the man hangs.

Between life and death, the man lives and awakens.

He advises everyone, and the man still himself drowns.



- डॉ. ईरा शाह
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शमा और परवाना के बीच में चिपक रहा है इन्सान।
शाम ओर सुबह में लटकता है यह इन्सान।
जीवन और मरण के बीच, जीता जागता है इन्सान।
नसीहत सबको देता है, खुद डूबता है इन्सान।
शमा और परवाना के बीच में चिपक रहा है इन्सान। शाम ओर सुबह में लटकता है यह इन्सान। जीवन और मरण के बीच, जीता जागता है इन्सान। नसीहत सबको देता है, खुद डूबता है इन्सान। https://myinnerkarma.org/quotes/detail.aspx?title=shama-aura-paravana-ke-bicha-mem-chipaka-raha-hai-insana

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