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शायरी में वो बात कहाँ, जो प्रीत में है,
होठों पर वो शब्द कहाँ, जो खामोशी में है,
जीवन का वो अर्थ कहाँ, जो उसके दीदार में है,
प्रभु से अब अलग कहाँ, जो इस दीवानगी में है।
- डॉ. हीरा
शायरी में वो बात कहाँ, जो प्रीत में है,
होठों पर वो शब्द कहाँ, जो खामोशी में है,
जीवन का वो अर्थ कहाँ, जो उसके दीदार में है,
प्रभु से अब अलग कहाँ, जो इस दीवानगी में है।
- डॉ. हीरा
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