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तस्वीर हमारी हम खुद देखते नहीं, दूसरों की देखते हैं।
विश्वास हमारा झुकता है, और दूसरों को कोसते हैं।
कोई अलग है ही नहीं अगर उसको सब में ढूँढते हैं।
दृष्टि का नजरिया अलग है, अपने आप को क्यों नहीं देखते हैं?



- डॉ. ईरा शाह
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तस्वीर हमारी हम खुद देखते नहीं, दूसरों की देखते हैं।
विश्वास हमारा झुकता है, और दूसरों को कोसते हैं।
कोई अलग है ही नहीं अगर उसको सब में ढूँढते हैं।
दृष्टि का नजरिया अलग है, अपने आप को क्यों नहीं देखते हैं?
तस्वीर हमारी हम खुद देखते नहीं, दूसरों की देखते हैं। विश्वास हमारा झुकता है, और दूसरों को कोसते हैं। कोई अलग है ही नहीं अगर उसको सब में ढूँढते हैं। दृष्टि का नजरिया अलग है, अपने आप को क्यों नहीं देखते हैं? https://myinnerkarma.org/quotes/detail.aspx?title=tasvira-hamari-hama-khuda-dekhate-nahim-dusarom-ki-dekhate-haim

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