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तू हमें दरपन दिखाता है, हम तुझे कोसते हैं।
तू हमें अर्पण सिखाता है, हम तुझसे दुर भागते हैं।
तू हमें समर्पण समझाता है, हम दुखों का पहाड़ तुझपर डालते हैं।
फिर भी तू हमें प्रेम करता है, हम आखिर तुझे क्यों समझ नहीं पाते हैं।
You show us the mirror, we only blame you.
You teach us how to offer everything to you, we run away from you.
You explain to us about complete surrender, we just put the load of our problems on to you.
Yet, you still love us, why are we not able to understand you?
- डॉ. ईरा शाह
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