जो न मिल पाए, उसे ही चाहते हैं,
जो चाहते हैं, उसी में ही खो जाते हैं।
जीवन में न कुछ पाते है, अपने आप को बनाते हैं,
मन को ना मजबूत बनाते हैं, इच्छाओं पर न काबू करते हैं।
मौसम के रंग जैसे हम बदलते हैं, खुद के ही गुनहगार बनते हैं,
सोच सच्ची, राह पक्की, मंजिलो को मुकाम तक पहुँचाते हैं।
संकल्प में दृढ रहते हैं, संकल्प से ही पाते हैं,
संकल्प से राह मिलती हैं, संकल्प से ही प्रभु के मिलन होता हैं।
- डॉ. हीरा