शबरी के बेर तो राम ने खाये,
पर क्या खुद के विकार आपने स्वीकारे?
यशोदा का दुध तो कृष्ण ने पिया,
पर क्या खुद की भूलों को आपने स्वीकारा?
अर्जुन का रथ तो कृष्ण ने चलाया,
पर क्या अपने जीवन को आपने सँवारा?
जीजस ने तो अपनी जान की बाज़ी लगाई,
पर क्या आपने अपने आप को उस खुदा के हवाले किया?
ज्ञान का मार्ग तो बुद्ध ने दिखाया,
पर क्या अपने आप को आपने जाना?
शिव-शक्ति के प्रेम से तो जगत बना,
पर क्या आपने लोगों से प्रेम करना सीखा?
संतों ने तो सत्य बताया,
पर क्या आपने उस सत्य पर कभी गौर फरमाया?
पत्थर की मूरत तो इंसान ने बनाया,
पर क्या अंतर में बैठे खुदा को कभी पहचाना?
- डॉ. हीरा