ये मनुष्य भी कुछ अजीब है, य मनुष्य भी कुछ अजीब है।
आँखो ने जो देखा वो दिल ने उतारा, ये मनुष्य भी कुछ अजीब है।
जो कानो ने सुना, वो विचारों में समाया, ये मनुष्य...
जो हाथों ने किया, वो मुँह ने कहा, ये मनुष्य...
दिल ने जो चाहा, वो मन से मनाया, ये मनुष्य...
जो कदम, पैर हैं चले, वो अहम् ने खाया, ये मनुष्य...
जो हकीकत में न हुआ, वो ख्यालों में हो गया, ये मनुष्य…
जो खूबसूरती को चाहे, वो कीचड़ उछाले, ये मनुष्य...
जो शौहरत को चाहे, वो औरत में गँवाए, ये मनुष्य...
जो खुद को खुदा समझे, वो खुदा को भी न जाने, ये मनुष्य...
- डॉ. ईरा शाह
yē manuṣya bhī kucha ajība hai, ya manuṣya bhī kucha ajība hai।
ām̐khō nē jō dēkhā vō dila nē utārā, yē manuṣya bhī kucha ajība hai।
jō kānō nē sunā, vō vicārōṁ mēṁ samāyā, yē manuṣya...
jō hāthōṁ nē kiyā, vō mum̐ha nē kahā, yē manuṣya...
dila nē jō cāhā, vō mana sē manāyā, yē manuṣya...
jō kadama, paira haiṁ calē, vō aham nē khāyā, yē manuṣya...
jō hakīkata mēṁ na huā, vō khyālōṁ mēṁ hō gayā, yē manuṣya…
jō khūbasūratī kō cāhē, vō kīcaḍa़ uchālē, yē manuṣya...
jō śauharata kō cāhē, vō aurata mēṁ gam̐vāē, yē manuṣya...
jō khuda kō khudā samajhē, vō khudā kō bhī na jānē, yē manuṣya...
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