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अधूरेपन की ये है सज़ा के अकेलापन देता है।
प्रेम की यह है प्रथा के ऊँचाई तक पहुँचाता है।
खोखलेपन की यह है दवा, आरजुओं को छोड़ना है।
नाराजगी का यह है नशा, की सब को ही भूला देता है।
- डॉ. हीरा
अधूरेपन की ये है सज़ा के अकेलापन देता है।
प्रेम की यह है प्रथा के ऊँचाई तक पहुँचाता है।
खोखलेपन की यह है दवा, आरजुओं को छोड़ना है।
नाराजगी का यह है नशा, की सब को ही भूला देता है।
- डॉ. हीरा
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