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बार-बार मिन्नत करने से भी तू नहीं मानता।
जागते-सोते तुझे याद करने पर भी तू नहीं आता।
फिरते विचारों को स्थिर करके भी तू नहीं जागता।
ऐ खूदा, चाहत में तुझे बसाने के बाद भी तू नहीं है हिलता।

- डॉ. हीरा
बार-बार मिन्नत करने से भी तू नहीं मानता।
जागते-सोते तुझे याद करने पर भी तू नहीं आता।
फिरते विचारों को स्थिर करके भी तू नहीं जागता।
ऐ खूदा, चाहत में तुझे बसाने के बाद भी तू नहीं है हिलता।



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जागते-सोते तुझे याद करने पर भी तू नहीं आता।
फिरते विचारों को स्थिर करके भी तू नहीं जागता।
ऐ खूदा, चाहत में तुझे बसाने के बाद भी तू नहीं है हिलता।
बार-बार मिन्नत करने से भी तू नहीं मानता। जागते-सोते तुझे याद करने पर भी तू नहीं आता। फिरते विचारों को स्थिर करके भी तू नहीं जागता। ऐ खूदा, चाहत में तुझे बसाने के बाद भी तू नहीं है हिलता। https://myinnerkarma.org/quotes/detail.aspx?title=bara-bara-minnata-karane-se-bhi-tu-nahim-manata

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