|
चेहरे का नूर और परवरदिगार का जुनून,
रुबायतें इश्क करवाता है।
आलस का जोर और बदतमीजी का जोर,
सिर्फ रुकावटें लाता है।
फितरत का जज्बा और मिलन का नखरा,
बस फरमाइशें पूरी करता है।
आनंद का फितूर और उमंग का चेहरा,
बस मुलाकात उस खुदा से करवाता है।
- डॉ. हीरा
चेहरे का नूर और परवरदिगार का जुनून,
रुबायतें इश्क करवाता है।
आलस का जोर और बदतमीजी का जोर,
सिर्फ रुकावटें लाता है।
फितरत का जज्बा और मिलन का नखरा,
बस फरमाइशें पूरी करता है।
आनंद का फितूर और उमंग का चेहरा,
बस मुलाकात उस खुदा से करवाता है।
- डॉ. हीरा
|
|