नसीहत देता हुँ तुझे आज मैं तो, खुदा को याद करने की मैं तो,
भूल जाओ अपने आप को तुम, खुदा को याद रखो बस तुम।
छोड़ दो गमों को अपने, खुदा के नाम का जाम पीने लगो तुम,
करो अपने आप को उस मालिक के हवाले, छोड़ दो हर पागलपन को तुम।
जो वो कहता है, वो सच कहता है, अपने आप को भूल कर मान लो तुम,
न सोचो कोई दूरी है, न सोचो ऊँच नीच को, बस उसकी बंदगी करो तुम।
महफिल सजाई है हर माहौल में उसने तो, बस अपने आप को ढूँढ लो वहाँ पर तुम,
इबादत उसकी सीखी है तुमने, बस उसे अब जान लो तुम।
नहीं कोई फासला मिटाने को, नहीं कोई मंजिल पाने को, यह पहचान लो तुम,
खुदा में अपने आप को भूल जाओ तुम, खुदा को गले लगा लो तुम।
- कई संतों की अंतर्दृष्टि जिसे कि “परा” द्वारा प्रकट किया गया है।