गुप्त काशी में बसा है काशी विश्वनाथ,
उत्तरकाशी में स्थापित है जगत पिता विश्वनाथ,
केदार में बसा है केदारेश्वर नाथ,
बदरी में बैठा है बदरिओं का नाथ,
कैलाश में बसा है जगन्ननाथ,
पुरी में उसकी आरती है, उसे कहते हैं भोलेनाथ,
अरुनाचल में बसे हैं पालेश्वर नाथ,
हिमाचल में बसे हैं ओंकारेश्वर नाथ,
हर ज्योतियलिँग में बसे है असीम नाथ,
सोमनाथ में है सिद्धो के नाथ,
त्रंबक में है ऋषियों के नाथ,
द्वारका में बैठे हैं गरीबों के नाथ,
खाजा में बसते हैं सुफियों के नाथ,
नाथ में बिराजते हैं सब के नाथ,
नवनाथ में भी तो है वही नाथ,
नाथो के नाथ, यही है ब्रह्मनाथ।
- डॉ. ईरा शाह