दर्द दिया है तुम्हें बहुत, अब और सताना नहीं चाहते हैं हम।
बहुत रुलाया है तुम्हें, अब और तड़पाना नहीं चाहते हैं हम।
मजबूर थे हम अपने हालत से, अब कमज़ोर नहीं रहना चाहते हैं हम।
वादा करके फिर मुकरना, अब ऐसे नहीं जीना चाहते हैं हम।
बहुत जी लिए खुद में, अब खुद में नहीं जीना चाहते हैं हम।
क्या करें लाचार बनके, अब ऐसे बेबस नहीं होना चाहते हैं हम।
दर दर की ठोकर खिलवाई तुझे, अब तुझे ठोकर नहीं दिलाना चाहते हैं हम।
प्यार तू हमें कितना करता है, इस प्यार का इन्तेहान अब नहीं लेना चाहते हैं हम।
प्यार हम तुझसे करते रहे, यही याद रखें, न भूलना चाहते हैं हम।
प्यार हमें तू करता रहे, बस अब यही चाहते हैं हम।
- डॉ. हीरा