Bhajan No. 5682 | Date: 18-Apr-20232023-04-18हर एक इन्सान तो पुतला है/bhajan/?title=hara-eka-insana-to-putala-haiहर एक इन्सान तो पुतला है,

अपने मन और इच्छाओं का गुलाम है।

राह वह अपनी खुद पकड़ता है,

सरेआम अपने बेकाबु मन का प्रदर्शन करता है।

हर एक इन्सान तो कमजोर है,

अपने विचारों का ही जोर है।

स्वाद और याद में ही खेलता है,

इस रंगमंच में ही वह गुमराह होता है।

हर एक इन्सान अपने आप का ही दुश्मन है,

खुदा को भुलकर, अपने ही तन की सेवा करता है।

जायेगा यह शरीर एक दिन वह उसको पता है,

अपने ही हाले दिल का ना वह वफादार है।

हर एक इन्सान नादान है,

भ्रम में जीता एक प्राण है।

उलझनों में ही जीने वाला एक सवाल है,

अपने जीवन में क्या चाहता है, वह ही एक सवाल है।


हर एक इन्सान तो पुतला है


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हर एक इन्सान तो पुतला है


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हर एक इन्सान तो पुतला है,

अपने मन और इच्छाओं का गुलाम है।

राह वह अपनी खुद पकड़ता है,

सरेआम अपने बेकाबु मन का प्रदर्शन करता है।

हर एक इन्सान तो कमजोर है,

अपने विचारों का ही जोर है।

स्वाद और याद में ही खेलता है,

इस रंगमंच में ही वह गुमराह होता है।

हर एक इन्सान अपने आप का ही दुश्मन है,

खुदा को भुलकर, अपने ही तन की सेवा करता है।

जायेगा यह शरीर एक दिन वह उसको पता है,

अपने ही हाले दिल का ना वह वफादार है।

हर एक इन्सान नादान है,

भ्रम में जीता एक प्राण है।

उलझनों में ही जीने वाला एक सवाल है,

अपने जीवन में क्या चाहता है, वह ही एक सवाल है।



- डॉ. हीरा
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hara ēka insāna tō putalā hai,

apanē mana aura icchāōṁ kā gulāma hai।

rāha vaha apanī khuda pakaḍa़tā hai,

sarēāma apanē bēkābu mana kā pradarśana karatā hai।

hara ēka insāna tō kamajōra hai,

apanē vicārōṁ kā hī jōra hai।

svāda aura yāda mēṁ hī khēlatā hai,

isa raṁgamaṁca mēṁ hī vaha gumarāha hōtā hai।

hara ēka insāna apanē āpa kā hī duśmana hai,

khudā kō bhulakara, apanē hī tana kī sēvā karatā hai।

jāyēgā yaha śarīra ēka dina vaha usakō patā hai,

apanē hī hālē dila kā nā vaha vaphādāra hai।

hara ēka insāna nādāna hai,

bhrama mēṁ jītā ēka prāṇa hai।

ulajhanōṁ mēṁ hī jīnē vālā ēka savāla hai,

apanē jīvana mēṁ kyā cāhatā hai, vaha hī ēka savāla hai।

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सज़दा किये जा रे मनवा, सज़दा किये जा
हर एक इन्सान तो पुतला है
First...17011702...Last

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