जब तेरे प्रेम में डूबना चाहा, तब जग याद आया।
जब तेरा दीदार करना चाहा, तब काम याद आया।
जह तुझको मिलना चाहा, तब व्यवहार याद आया।
जब तुझमें समाना चाहा, तब अपनापन याद आया।
जब तुझको पुकारना चाहा, तब अपनी चाहतों पर नजर गई।
जब तुझको भुलाना चाहा, तब दुःख का जाल बिछ गया।
जब तुझमें जीना चाहा, तब सुख ने तुझे भूलवा दिया।
जब तेरे संग प्रीत लगाना चाहा, तब मोह का त्याग न हो सका।
जब तुझे जानना चाहा, तब खुद की तकलीफें याद आईं।
जब तुझमें आराम करना चाहा, तब मौत ने भी तुझसे छीन लिया।
- डॉ. हीरा