सोचना क्या है, सिधे पाना है।
कराना क्या है, बस इशारे पर चलना है।
समझाना क्या है, सिधा अंतर में उतराना है।
व्यवहार क्या है, बस सच्चाई पर चलना है।
जागना क्या है, सिर्फ खुद को पहचानना है।
मंजिल क्या है, सिर्फ प्रेम में डुबना है।
मुक्ति क्या है, विचारो से आजाद होना है।
धर्म क्या है, प्रभु को समर्पण करना है।
जीत क्या है, अपनेआप की पहचान करनी है।
- डॉ. हीरा