Bhajan No. 1851 | Date: 01-Jan-20012001-01-01जी रहे थे अब तक हम सपनो की दुनिया में/bhajan/?title=ji-rahe-the-aba-taka-hama-sapano-ki-duniya-memजी रहे थे अब तक हम सपनो की दुनिया में,

कि हकीकत का सामना कभी हम न कर सके।

ख्यालों ही ख्यालों में अपने जीवन को चलाते रहे,

कि जब हम गिरे तो पत्थरों की चोट खाते रहे।

फिर भी अपनी भूल को हम न मान सके,

जाना जब हमने अपने आप को, सारे भ्रम टुटते गए।

कि हमें अपने आप की पहचान होने लगी,

फिर हमारी सारी शिकायत खत्म होने लगी।

सच्ची राह और सच्ची मंजिल हमे तब मिलने लगी,

और फिर जीने लगे हम बडी शान से अपनी दुनिया में।


जी रहे थे अब तक हम सपनो की दुनिया में


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जी रहे थे अब तक हम सपनो की दुनिया में


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जी रहे थे अब तक हम सपनो की दुनिया में,

कि हकीकत का सामना कभी हम न कर सके।

ख्यालों ही ख्यालों में अपने जीवन को चलाते रहे,

कि जब हम गिरे तो पत्थरों की चोट खाते रहे।

फिर भी अपनी भूल को हम न मान सके,

जाना जब हमने अपने आप को, सारे भ्रम टुटते गए।

कि हमें अपने आप की पहचान होने लगी,

फिर हमारी सारी शिकायत खत्म होने लगी।

सच्ची राह और सच्ची मंजिल हमे तब मिलने लगी,

और फिर जीने लगे हम बडी शान से अपनी दुनिया में।



- डॉ. ईरा शाह
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jī rahē thē aba taka hama sapanō kī duniyā mēṁ,

ki hakīkata kā sāmanā kabhī hama na kara sakē।

khyālōṁ hī khyālōṁ mēṁ apanē jīvana kō calātē rahē,

ki jaba hama girē tō pattharōṁ kī cōṭa khātē rahē।

phira bhī apanī bhūla kō hama na māna sakē,

jānā jaba hamanē apanē āpa kō, sārē bhrama ṭuṭatē gaē।

ki hamēṁ apanē āpa kī pahacāna hōnē lagī,

phira hamārī sārī śikāyata khatma hōnē lagī।

saccī rāha aura saccī maṁjila hamē taba milanē lagī,

aura phira jīnē lagē hama baḍī śāna sē apanī duniyā mēṁ।

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