कहाँ न जाने मेरा दिल खो गया, ढूँढते भी ना मिला।
साथ में चैन मेरा वो ले गया, न जाने कहाँ खो गया।
न मैं काम कर सका, ना आराम, न जाने क्या हो गया?
न जीने में मज़ा आया, फिर भी एक मज़ा आया पता नहीं क्या हुआ।
न कुछ और सोच सका, बस एक ही सोच था, पूछो ना क्या हुआ?
प्यार से उसको याद किया, प्यार को भी याद किया, न जाने क्या हुआ।
दिन में इन्तज़ार रहा, रात को ख्वाबों में बहार आई, ऐसा ही हुआ।
कि दुनिया हसीन लगी और लोग सब प्यारे लगे, ये क्या हो गया?
दिल मेरा कहाँ खो गया कि प्यार पे तो वह कुर्बान हो गया,
और हसीन सपनों में वो प्यार के साथ खो गया।
- डॉ. हीरा