महोब्बत के तराने हैं,
जज़्बात के नजारे हैं,
अमर प्रेम के जलवे हैं,
फिर भी गुमराह मन में शिकवे हैं।
ज्ञान के पैमाने हैं,
जीवन के अलग अलग रास्ते हैं,
विश्व में सिर्फ विचारों के साये हैं,
ऐसे माहौल में सिर्फ गम के प्याले है।
अंतर में तो जहान है,
कोशिश फिर भी नाकामयाब है,
गुलिस्तान के नज़ारे हैं,
हर इंसान फिर भी बेगाना है।
शांति में तो सुकून है,
आनंद में ही जन्नत है,
फिर भी गम और खुशी के खेल में खेलते हैं,
अनपे आप में ही खोखले हैं।
जीवन में सब प्यारे हैं,
फिर भी इश्क में वफा न करते हैं,
हाले दिल की महफिल है,
ऐ खुदा, तेरे ही सब बंदे हैं।
ज़ोडने में तू लगा है
तोड़ने में इंसान लगा है,
ऐसे तेरे चाहने वाले हैं,
ऐ खुदा, तेरे बंदे ही तो भूले भटके हैं।
तुझको अलग गिनते हैं,
अपने आप को भूले हैं,
ऐ खुदा, तेरे ही खेल के ये सब सिक्के हैं।
मंजर का कोई ठिकाना नहीं,
मंजिल का कोई पता नहीं,
ख्वाहिशों के वादे हैं,
ऐ खुदा, तेरे प्रेम के सब भूखे हैं।
ज्ञान में न कोई सुकून है,
विश्वास में न कोई पूर्ण है,
तुझी को पुकारते हैं,
ऐ खुदा, इस पुकार में ही तो सब रास्ते हैं।
- डॉ. हीरा