ऊँचाइयों से डर लगता है,
गहराइयों से भी डर लगता है,
खुले आसमान में उड़ने को मन करता है,
ऐ खुदा, तेरी दीवानगी में खोने को जी चाहता है।
अपने आप से डर लगता है,
अपनी ख्वाहिशों से भय लगता है,
तेरी बाहों में खोने को मन करता है,
ऐ खुदा, अपने अरमानों की बलि चढ़ाने को जी करता है।
तेरे बिन जीवन दर्द लगता है,
तेरी इच्छा ही अब सुकून देती है,
अपने आप को भूलाने में अच्छा लगता है,
ऐ खुदा, तुझमें घुलना ही समर्पण लगता है।
हसीन पल यादगार लगते हैं,
तेरी चाहत के सब मेले लगते हैं,
शायरी में तुझे पैगाम लिखते हैं,
ऐ खुदा, मेरे नाम के जनाज़े में तुझे पाते है।
आलम में सितारे ढूँढते हैं,
तेरी महकती खुशबू को पाते हैं,
हर पल तुझे याद करते हैं,
ऐ खुदा, तेरे प्रेम में हम पागल होते हैं ।
मंजिल अपनी ढूँढते रहते हैं,
हर लम्हा प्यार करते रहते हैं,
बिन कहे, सब कुछ सुन लेते हैं,
ऐ खुदा, तेरे इशारे पर ही चलते हैं।
- डॉ. हीरा