Bhajan No. 6081 | Date: 10-Feb-20222022-02-10महकती कलियों के आधार पर जग मुस्कुराता है/bhajan/?title=mahakati-kaliyom-ke-adhara-para-jaga-muskurata-haiमहकती कलियों के आधार पर जग मुस्कुराता है,

इश्क के वादे करके, वह अपने आप को भूलता है,

जन्मो जन्म के फेरे बाँध के, सेहरा पहनता है,

कि अपनी असलियत को वह भूलता है।

यकिन है उसे कि जीवन एक संधर्श ही है,

फिर भी अपने जज्बातों में ही वह खेलता है।

पनाह अपने विश्वास में वह खोजता है,

पर अपनी बुद्धि के बल पर खोता है।

आज़ादी के नारे लगाता है,

पर गुलामी की बेड़ी में ही जीता है।

जीवन को बार बार ऐसे ही बिताता है,

मंजिल अपनी बार बार ढूँढता है।

यह जग आखिर मुस्कुरा कर रोना सिख लेता है,

अपना ही वजूद न जाने कहाँ खो देता है।

आलस में जीने का सहारा पाता है,

यह जग, खुदा के हवाले, इस तरह सौंपता है,

अपने ही दंभ में न जाने क्या क्या करता है।


महकती कलियों के आधार पर जग मुस्कुराता है


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महकती कलियों के आधार पर जग मुस्कुराता है


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महकती कलियों के आधार पर जग मुस्कुराता है,

इश्क के वादे करके, वह अपने आप को भूलता है,

जन्मो जन्म के फेरे बाँध के, सेहरा पहनता है,

कि अपनी असलियत को वह भूलता है।

यकिन है उसे कि जीवन एक संधर्श ही है,

फिर भी अपने जज्बातों में ही वह खेलता है।

पनाह अपने विश्वास में वह खोजता है,

पर अपनी बुद्धि के बल पर खोता है।

आज़ादी के नारे लगाता है,

पर गुलामी की बेड़ी में ही जीता है।

जीवन को बार बार ऐसे ही बिताता है,

मंजिल अपनी बार बार ढूँढता है।

यह जग आखिर मुस्कुरा कर रोना सिख लेता है,

अपना ही वजूद न जाने कहाँ खो देता है।

आलस में जीने का सहारा पाता है,

यह जग, खुदा के हवाले, इस तरह सौंपता है,

अपने ही दंभ में न जाने क्या क्या करता है।



- डॉ. हीरा
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mahakatī kaliyōṁ kē ādhāra para jaga muskurātā hai,

iśka kē vādē karakē, vaha apanē āpa kō bhūlatā hai,

janmō janma kē phērē bām̐dha kē, sēharā pahanatā hai,

ki apanī asaliyata kō vaha bhūlatā hai।

yakina hai usē ki jīvana ēka saṁdharśa hī hai,

phira bhī apanē jajbātōṁ mēṁ hī vaha khēlatā hai।

panāha apanē viśvāsa mēṁ vaha khōjatā hai,

para apanī buddhi kē bala para khōtā hai।

āja़ādī kē nārē lagātā hai,

para gulāmī kī bēḍa़ī mēṁ hī jītā hai।

jīvana kō bāra bāra aisē hī bitātā hai,

maṁjila apanī bāra bāra ḍhūm̐ḍhatā hai।

yaha jaga ākhira muskurā kara rōnā sikha lētā hai,

apanā hī vajūda na jānē kahām̐ khō dētā hai।

ālasa mēṁ jīnē kā sahārā pātā hai,

yaha jaga, khudā kē havālē, isa taraha sauṁpatā hai,

apanē hī daṁbha mēṁ na jānē kyā kyā karatā hai।

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ऊँचाइयों से डर लगता है
महकती कलियों के आधार पर जग मुस्कुराता है
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