पैगाम आया है आज उस आलम से,
खुदा ने बख्सी है आज उसके खज़ाने से।
नवाज़ा है आज उसने अपने ही जुबान से,
शामिल किया है आज उसने अपने जहान में।
कुदरत का फैसला भेजा है अपने हाथों से,
खुदा ने बख्सा है इस पापी संसार को।
मांगों से ऊपर लाए हैं अपने दीदार को,
खुदा ने दिया है अपने बंदे को भर भर के।
मिलन की तमन्ना है इस द्वार पे,
ख़ुदा तेरे चाहनेवाले बने तेरे जैसे इस जहान में।
- डॉ. हीरा