जब जब प्रेम का माहौल आता है,
तब तब उसकी चाह का इंतेजार होता है।
जब जब उसकी वाणी सुनाई देती है,
तब तब अंतर में सब पता चलता है।
जब जब वो दिव्य धारा बहती हैं,
तब तब उसी के बोल बोलते हैं।
जब जब अनुभव उसका होता है,
तब तब पहचान उसी को मिलती है।
जब जब ये हमें पता चलता है,
तब तब समय की पहचान हम भुलाते हैं।
- डॉ. हीरा