Bhajan No. 6092 | Date: 07-Jul-20242024-07-07संगम ऐसा हो कि फिर कभी जुदा न हों।/bhajan/?title=sangama-aisa-ho-ki-phira-kabhi-juda-na-homसंगम ऐसा हो कि फिर कभी जुदा न हों।

प्रेम ऐसा हो कि फिर कभी अलग न हों।

शांति ऐसी हो कि फिर कभी अशांत मन न हो।

प्रीत ऐसी हो कि फिर कभी दुसरे का ख्याल न हो।

आज़ादी ऐसी हो कि फिर कभी और इच्छा न हो।

जागृति ऐसी हो कि फिर कभी भ्रम न हो।

मिलन ऐसा हो कि फिर कभी साँसों की अलगता न हो।

दिव्यता ऐसी हो कि फिर कभी विकारों का सामना न हो।

आरजू ऐसी हो कि फिर कभी तू हमसे दूर न हों,

आनंद ऐसा हो कि फिर कभी और कोई एहसास ही न हो।


संगम ऐसा हो कि फिर कभी जुदा न हों।


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संगम ऐसा हो कि फिर कभी जुदा न हों।


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संगम ऐसा हो कि फिर कभी जुदा न हों।

प्रेम ऐसा हो कि फिर कभी अलग न हों।

शांति ऐसी हो कि फिर कभी अशांत मन न हो।

प्रीत ऐसी हो कि फिर कभी दुसरे का ख्याल न हो।

आज़ादी ऐसी हो कि फिर कभी और इच्छा न हो।

जागृति ऐसी हो कि फिर कभी भ्रम न हो।

मिलन ऐसा हो कि फिर कभी साँसों की अलगता न हो।

दिव्यता ऐसी हो कि फिर कभी विकारों का सामना न हो।

आरजू ऐसी हो कि फिर कभी तू हमसे दूर न हों,

आनंद ऐसा हो कि फिर कभी और कोई एहसास ही न हो।



- डॉ. हीरा
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saṁgama aisā hō ki phira kabhī judā na hōṁ।

prēma aisā hō ki phira kabhī alaga na hōṁ।

śāṁti aisī hō ki phira kabhī aśāṁta mana na hō।

prīta aisī hō ki phira kabhī dusarē kā khyāla na hō।

āja़ādī aisī hō ki phira kabhī aura icchā na hō।

jāgr̥ti aisī hō ki phira kabhī bhrama na hō।

milana aisā hō ki phira kabhī sām̐sōṁ kī alagatā na hō।

divyatā aisī hō ki phira kabhī vikārōṁ kā sāmanā na hō।

ārajū aisī hō ki phira kabhī tū hamasē dūra na hōṁ,

ānaṁda aisā hō ki phira kabhī aura kōī ēhasāsa hī na hō।

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