हम किसी से नाराज नहीं, हम किसी की आवाज नहीं,
हम किसी के मालिक नहीं, हम किसी के सेवक नहीं।
हम किसी की आरजू नहीं, हम किसी की चाहत नहीं
हम किसी के दीवाने नहीं, हम किसी के मोहताज नहीं।
हम किसी के शागीर्द नहीं, हम किसी के आकरण नहीं,
हम किसी के दुश्मन नहीं, हम किसी से अलग नहीं।
हम किसी के विश्वासघाती नहीं, हम किसी का बलिदान नहीं,
हम अपनी इच्छा नहीं, हम से जुदा और कोई नहीं।
हम में ना कोई शायरी बसी, हम से तो यह दुनिया चली,
हम में ना कोई आत्मा जली, हमसे ही तो आत्मा बसी ।
- ये दुनिया के लिए “परा” के संदेश हैं|