आमने सामने बैठे हैं हम और आप,
कि खुदा तू खुद आया है मेरे पास।
फिर भी पहचान नहीं पाए, तुझे हम खास,
कि ऑंखे बंद कर पुकारें, आजा तू मेरे पास।
गुरु के रूप में साक्षात तू है मेरे पास,
फिर भी मन भटकता रहे, भले तू है पास।
प्रयत्न करते रहे कि कभी तो तू आके मिल,
पर जब सामने हो तुम तो पहचान न पाए कि तू है खास।
रखा है तुझे हमारे खयालों की दुनिया में, पहचान तुझे न पाए,
कि आया है तु जब सामने, तुझको तो हम पहचान न पाए।
- डॉ. हीरा