आँखें बरसाती, आँसू छलकाती तेरे प्यार में डूब गए हम,
कि अमृत पिलाती ऐसे दिल के दरिया में डूब गए हम।
नशीली ये प्यार भरी शाम में मदहोश हो गए हम,
कि दिल का चैन, मन का मीत, खो गए हैं हम।
चुरा के हमारा प्रित, मेरे दिल के मित, कहाँ चले गए हो तुम?
के पुकार रहे हैं हम, हमारे प्रित, अब चले आओ रे तुम।
आँखे बंद हमारी, अब सच्चे प्यार में खुला दो उसे तुम,
कि प्यार में तेरी सब कुछ भुला दो हमें तुम।
दिल के सब द्वेष अब दूर हटा दो तुम,
के जिए हम खुशी से, गाके तेरे ही गुण।
- डॉ. हीरा