Bhajan No. 5505 | Date: 01-Aug-20212021-08-01आराम हराम है, प्रेम ही तो गवाह है।/bhajan/?title=arama-harama-hai-prema-hi-to-gavaha-haiआराम हराम है, प्रेम ही तो गवाह है।

कोशिश सब नाकामयाब है, जुनून ही परेशान है।

ग़ालिब की शायरी है, फिर भी माहौल बेजान है।

इम्तेहान दिलों की गुप्त ही सही, मिलन का ही नशा है।

सीमित पहचान में राज छुपे, वो पहचान ही तो गुलाम है।

अँधेरों में वो उजाला कहाँ, जब दिल में वो न बसा है।

खातिम खुदा की रुखसत कहाँ, जब मन में खुदा ही आरजू है।

जीवन के ये राज ही सही, असल में उस परवरदिगार को पाना है।

गैरों में खुद को ढूँढना, वही तो अंतर की यात्रा है।


आराम हराम है, प्रेम ही तो गवाह है।


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आराम हराम है, प्रेम ही तो गवाह है।


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आराम हराम है, प्रेम ही तो गवाह है।

कोशिश सब नाकामयाब है, जुनून ही परेशान है।

ग़ालिब की शायरी है, फिर भी माहौल बेजान है।

इम्तेहान दिलों की गुप्त ही सही, मिलन का ही नशा है।

सीमित पहचान में राज छुपे, वो पहचान ही तो गुलाम है।

अँधेरों में वो उजाला कहाँ, जब दिल में वो न बसा है।

खातिम खुदा की रुखसत कहाँ, जब मन में खुदा ही आरजू है।

जीवन के ये राज ही सही, असल में उस परवरदिगार को पाना है।

गैरों में खुद को ढूँढना, वही तो अंतर की यात्रा है।



- डॉ. हीरा
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ārāma harāma hai, prēma hī tō gavāha hai।

kōśiśa saba nākāmayāba hai, junūna hī parēśāna hai।

ग़āliba kī śāyarī hai, phira bhī māhaula bējāna hai।

imtēhāna dilōṁ kī gupta hī sahī, milana kā hī naśā hai।

sīmita pahacāna mēṁ rāja chupē, vō pahacāna hī tō gulāma hai।

am̐dhērōṁ mēṁ vō ujālā kahām̐, jaba dila mēṁ vō na basā hai।

khātima khudā kī rukhasata kahām̐, jaba mana mēṁ khudā hī ārajū hai।

jīvana kē yē rāja hī sahī, asala mēṁ usa paravaradigāra kō pānā hai।

gairōṁ mēṁ khuda kō ḍhūm̐ḍhanā, vahī tō aṁtara kī yātrā hai।

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फितूर नहीं हमारी तुझे पाने की, फिर भी तू रहम बरसाता है।
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महोताज नहीं तेरे पैगाम के फिर भी इंतज़ार करते हैं
 
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फितूर नहीं हमारी तुझे पाने की, फिर भी तू रहम बरसाता है।
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महोताज नहीं तेरे पैगाम के फिर भी इंतज़ार करते हैं
आराम हराम है, प्रेम ही तो गवाह है।
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