आता है जब ख्याल तेरा तो रुकता नहीं है,
कि दिल के जज़्बात खामोशी पहचानती नहीं हैं।
तेरी वो भीनी खुशबू, हर पल मदहोश करती है,
कि न जाने कहाँ, तेरी शायरी हमारे पास आ जाती है।
बीती वो पलके, सामने हमारे छा जाती है,
कि आज भी तुझे, वैसे ही पाएँ, हमें याद सताती है।
दिल में तू, तेरा चहरा साफ नजर आता है,
कि तुझे वैसे ही पाएँ, जैसे तुम मिला करते थे।
मिल जाएँ तुझमें हमेशा, ये प्रार्थना हम करते हैं,
कि तेरे इस प्यार में, हम हमारी पहचान खोना चाहते हैं।
- डॉ. हीरा