तड़प इस दिल की बुझ न जाए,
कि चाहत तुम्हारी कभी खत्म हो न जाए।
एहसास तेरा, कभी कम न हो जाए,
कि मंजिल अपनी कभी भूल न जाए।
सुकून दिल का कभी मिट न जाए,
कि तोहफा तुम्हारा कभी खो न जाए।
चाहतों के फासले कम हो जाएँ
कि विचारों को अपनी न बाँध जाएँ।
निगाहों को तेरी हम न कभी बंद पाएँ,
कि हर पल तुझे हम अपने साथ ही पाएँ।
- डॉ. हीरा