चुपके चुपके मिलने का है कुछ अलग ही मजा,
कि जागते जागते तुझे याद करने की है मीठी सज़ा।
याद में तेरे, आँसू बहने की है अलग दास्तान,
कि नाम में तेरे गुम हो जाने, यह है कुछ पहचानी जगह।
प्यार में तेरे सब कुछ भुलाने की है ये अजीब दास्तान,
कि मदहोशी के इस आलम में झूमते हैं सदा।
होश रहे फिर भी न रहे, ये अलग अलग है जज़्बात,
कि ये समय जो थम सा जाए, ये है एक नया अंदाज।
दुनिया में हम नहीं, ये समां प्यार का है, एक सच सदा,
आखिर ये प्यार है कैसा, नशा है जन्नत का इसमें तो सज़ा।
- डॉ. हीरा