प्रीत हमारी वाणी बनके लब्जों में आई,
कि हालत इस दिल की, हमारे नजरों में छलकी।
प्यार की बहार आई, खुशियों में समां गई,
सब फरियाद मिटी, दिल में तेरी तस्वीर समां गई।
है ये देन तेरा, कि ये सुकून हमने है पाया,
हो तुम हममें, हैं हम तुझमें, अलगता समाप्त हुई।
सच्चा प्यार है पाया, सच्चे प्यार में बह गए,
कि इस दुनिया से हम अलग हो चले।
निकल पडे हैं प्यार की राह पर, हम चल पड़े,
मंजिल है तू, मंजिल को हम पाने अपनी चल पड़े।
- डॉ. हीरा