इस दुनिया के मेले में कुछ लोग आते हैं और जाते हैं,
साथ रहते हैं और फिर से बिछड़ जाते हैं।
ख्याहिशे करते हैं, आशा और निराशा में जीते हैं,
और बंधनो की गाँठ में और बढ़ते चले जाते हैं।
जानते हैं ये पल नहीं हमेशा पर साथ रहना चाहते हैं,
इन चाहतों के मेले में खुद को ही भूल जाते हैं।
कुछ पल हँसते हैं, कुछ पल रो लेते हैं,
कि मंजिल अपनी क्या है, वो भूल जाते हैं।
जीते हैं साथ में खुशी के लिए, प्यार करते हैं, खुशी के लिए,
पर खुशी को ही इस रिश्तों में भूल जाते हैं।
- डॉ. हीरा