जग में बस तू ही तू, हर जगह बस तू ही तू,
हर दृष्टि में तू ही तू, हर मोड पे बस तू ही तू,
शबनम से झील में तू ही तू, दिल के समुद्र में तू ही तू,
हर शमा में तू ही तू, कि हर मधहोशी में तू ही तू,
हर रंग में बसा तू ही तू, हर ताल में है तू ही तू,
हर मृत्यु में है तू ही तू, हर अंदाज में है तू ही तू,
हर कार्य में है तू ही तू, हर विचार में है तू ही तू,
हर विश्वास में है तू ही तू, हर स्वास में है तू ही तू,
हर माहौल में है तू ही तू, हर दृष्टि में है तू ही तू,
तेरे संग बस दिखे तू ही तू, मेरे रंग में रहे तू ही तू।
- डॉ. हीरा