जान मेरी हाजिर, मुहब्बत पे तेरे कुरबान,
कि एक इशारा हो तेरा कि हम हैं तुझपे कुरबान।
जिंदगी ये अब तेरी अमानत, तुम हो हम पे कुरबान,
इनायत है ये तेरी हमपे, कि तुम हो हम पे कुरबान।
मुहब्बत जो तेरी मिली, के हम है तुझपे कुरबान,
जिंदगी की राह हमें मिली, जो तुम हुए हमपे कुरबान।
इतना प्यार हमे सिर्फ तुमसे मिला, कि तुम हो मेहरबान।
तुम जो आए हमारी गली, खुल गई हमारी बेडी, ओ मेहरबान।
इतना सिखाया तुने हमें, कि हो गए फिर से हम नादान,
शब्दों से क्या कहें, बस ये सच है कि तुम हो हम पे मेहरबान।
- डॉ. हीरा