खुदा ने यह सृष्टि बनाई, उसमें माया का जाल बिछाया
मनुष्य ने यह 'मैं' को पकडा और खुद का माया जाल बनाया।
खुदा ने सब को मोह में लपेटा और मिथ्या को सत्य दिखाया
मनुष्य ने खुद को खुदा से अलग माना और मिथ्या में जीता रहा।
खुदा ने खुद को छुपाया और अंतरमन में जाके बैठा
मनुष्य ने सोच का सहारा लिया और बाहरी दुनिया में गाता फिरा।
खुदा ने सब को बनाया और खुद ओझल रहा
मनुष्य, बुद्धि चलाकर, खुद को ही फँसाता रहा।
खुदा ने मनुष्य बनाया, अपना ही प्रतिबिंब उसको दिया
मनुष्य ने प्रतिबिंब को खुदा माना और बिंब में जाना ही भूल गया।
- ડો. હીરા