तेरी ही यादों की बारात में खोती रहती हूँ।
तेरे ही प्यार के नगमें गाती रहती हूँ।
तेरे ही जलवों में खोती रहती हूँ।
ऐ खुदा, तेरे ही ईशारों पर नाचती रहती हूँ।
तेरे ही दीदार में गुनगुनाती हूँ।
तेरे ही अफसाने बोलती रहती हूँ।
तेरी ही शायरी लिखती रहती हूँ।
ऐ खुदा, तेरे प्यार में दीवानी होती रहती हूँ।
तेरे ही दर पर अब आना चाहती हूँ।
तेरी ही महफिल में सज़दा करना चाहती हूँ।
तेरे ही हवाले सब सौंपना चाहती हूँ।
ऐ खुदा, तेरे ही दामन में तुझसे मिलना चाहती हूँ।
- ડો. હીરા