Bhajan No. 6045 | Date: 23-Mar-20242024-03-23क्या करूँ, क्या ना करूँ, यह समझ नहीं आता।/bhajan/?title=kya-karum-kya-na-karum-yaha-samaja-nahim-ataक्या करूँ, क्या ना करूँ, यह समझ नहीं आता।

दुनिया में अक्सर बुद्धि का खेल, हमें यहीं पर है लाता।

बुद्धि से हल के बिना, सिर्फ दुविधा है पाया।

फिर भी अपने आप को सिर्फ चतुर ही माना।

निर्णयों के खेल में अक्सर धोका है खाया।

अपने-आप ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी है मारा।

किस्मत के खेल ने हमें है बचाया।

फिर भी कहते हैं कि किस्मत ने हमें रुलाया।

जागृति का दंभ करके, बुद्धि ने भरमाया।

प्रभु, तुझसे सद्बुद्धि माँगकर, अपना भ्रम हमने है तोड़ा।


क्या करूँ, क्या ना करूँ, यह समझ नहीं आता।


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क्या करूँ, क्या ना करूँ, यह समझ नहीं आता।


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क्या करूँ, क्या ना करूँ, यह समझ नहीं आता।

दुनिया में अक्सर बुद्धि का खेल, हमें यहीं पर है लाता।

बुद्धि से हल के बिना, सिर्फ दुविधा है पाया।

फिर भी अपने आप को सिर्फ चतुर ही माना।

निर्णयों के खेल में अक्सर धोका है खाया।

अपने-आप ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी है मारा।

किस्मत के खेल ने हमें है बचाया।

फिर भी कहते हैं कि किस्मत ने हमें रुलाया।

जागृति का दंभ करके, बुद्धि ने भरमाया।

प्रभु, तुझसे सद्बुद्धि माँगकर, अपना भ्रम हमने है तोड़ा।



- ડો. હીરા
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kyā karūm̐, kyā nā karūm̐, yaha samajha nahīṁ ātā।

duniyā mēṁ aksara buddhi kā khēla, hamēṁ yahīṁ para hai lātā।

buddhi sē hala kē binā, sirpha duvidhā hai pāyā।

phira bhī apanē āpa kō sirpha catura hī mānā।

nirṇayōṁ kē khēla mēṁ aksara dhōkā hai khāyā।

apanē-āpa hī apanē pairōṁ para kulhāḍa़ī hai mārā।

kismata kē khēla nē hamēṁ hai bacāyā।

phira bhī kahatē haiṁ ki kismata nē hamēṁ rulāyā।

jāgr̥ti kā daṁbha karakē, buddhi nē bharamāyā।

prabhu, tujhasē sadbuddhi mām̐gakara, apanā bhrama hamanē hai tōḍa़ā।

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रिश्तों की आरजू में एक रिश्ता तेरा भी है प्रभु।
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जब प्रेम तुझसे करते हैं, फिर क्या रोना, क्या धोना।
 
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क्या करूँ, क्या ना करूँ, यह समझ नहीं आता।
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