मंजिल अपनी हम जानते है,
पर रास्ता कितना लम्बा, ये नहीं जानते।
दृढ़ता और संकल्प की बुनियाद,
और लगन और जोश का प्रहार।
खतरें कई हैं रास्ते में, मंजिल नहीं आसान,
कि खुद से ही खुद फिसलते हैं, ये जज़्बात नहीं आसान।
जब जानते अपनी बुराइयाँ, कोशिश फिर भी नाकाम,
कि आदतों से मजबूर, हम खुद ही खुद को नचाएँ।
वो कशिश वो जुनून चाहिए, पहुँचने के लिए,
क्योंकि मंजिल तो है सामने, पर पहुँचना नहीं आसान।
- डॉ. हीरा