मस्ती का ये मौसम है, प्यार का इकरार है
वादों का इशारा है, शरारत का नजारा है।
मुहब्बत का आलम है, बिन पिलाए जाम का नशा है
मदहोशी का समा है, दिल में सुकून छाया है
बातों की महफिल है, जुगलबंदी का जश्न है
तु है उसका एहसास है, तेरे ही खयालों का कारवाँ है।
शब्दों की बहार है, आनंद का बहाव है
गीतों की महफिल है, तेरे इकरार की ख़ुशी है
बिन बोले बातें अनेक है, बिना दिखे तू छाया है
तुझपे हम फिदा है, तेरे अंदाज लाजवाब हैं।
- डॉ. हीरा