नए नए अंदाज़ हैं तेरे प्रभु, के नए नए हैं रास्ते,
युग बदले, लोग बदले, बदले भी तेरे रास्ते।
पहले राम के सच्चे सिध्दांत भरे ये रास्ते,
फिर कान्हा के ये तो नटखट निराले रास्ते।
सतयुग से कलयुग तक बदले हैं तेरे रास्ते,
मंजिल ना बदली, सिर्फ बदले हैं तेरे रास्ते।
मार खाते हैं लोग, इन बदलते तेरे रास्ते,
कि कलयुग में भी राम रास्ते पे वो हैं आते।
क्या करें इन बेचारों का, जब सुनते नहीं वो तेरी बातें,
कि युग बदले, तेरे रूप भी बदले, तूने दिखाए वो रास्ते।
अब चलें तो किस पे चलें, फिर भी लोग हैं सोचते।
- डॉ. हीरा