प्यार करना चाहते हैं तो सभी जग में पर सिर्फ झगड़ा करते हैं,
प्रेम से जीना चाहते हैं तो सभी जग में पर सिर्फ जंग करते हैं।
ना जानते प्यार की भाषा सभी कि बस लड़ते झगड़ते रहते हैं,
फिर रोते अपने हाल पे सभी कि न कोई उनसे प्रेम करता है।
अपने हाल पे गम करते सभी कि पूरे जग में बस वही अकेले हैं,
“ना कोई समझता हैं हमें”, यही सभी सोचते रहते हैं।
“कि हम हैं कितने बेचारे”, सभी ये गुन गान करते रहते हैं,
सहानुभूति चाहिए सब को, यही सभ इच्छा करते रहते हैं।
कि मिले कोई ऐसा जग में, कि सभी बाते उसकी समझ सकता है,
हाले दिल कोई उसका समझे, सभी बस ये ख्याल में सोते रहते हैं।
न किसी से प्यार कर सके, सभी बस सब से प्यार पाना चाहते हैं,
यह है अपना सच्चा रूप, पर सभी उससे फिर भी ड़रते रहते हैं।
कि न हम हैं ऐसे सभी ये भ्रम में रहते और जीते हैं,
प्रभु फिर उनका करे तो क्या कि सभी खुद को खुदा समझते हैं।
- डॉ. हीरा