साधना के पथ पर चलते चले, मंजिल की ऊपर जाना है
बरसों से निकलते चले, प्रभू की ओर जाना है
जिंदगी में काँटे मिलते रहें, उससे आगे निकलके जाना है
रास्तों में ठोकर लगते रहें, उनसे उठकर प्रभु के दर्शन पाना है।
जिंदगी व्यर्थ न जाती रहे, उसमें प्रयत्न करते जाना है,
प्रभू के प्यार में झुमना है, उसके भजन में सुर मिलाना है
गाथा प्रेम की जोड़नी है, ताल से ताल मिलाना है
आगे बढ़ते जाना है, प्रभु को हमें जीतना है
जिंदगी के इस दौर में पाना है, यूँ ही हमें चलते जाना है।
- डॉ. हीरा